अपने देखा होगा की अगर आपको कोई समस्या होती है तो डॉक्टर शुरुवात में आपको डीएलसी या टीएलसी टेस्ट (WBC Count) करवाने के लिए लिखते है उसका क्या कारण है, टीएलसी टेस्ट क्या होता है, क्यों करते है, और इससे डॉक्टर को क्या पता चलता है ऐसे बहुत से सवाल आपके दिमाग में आते होंगे आईए यहाँ पढ़े (DLC, TLC Test in Hindi) और जानते है इन सभी सवालो के जवाब।
डीएलसी और टीएलसी सफेद रक्त कोशिका की गिनती (WBC Count) रक्त में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या (WBC Count) को गिनने के लिए की जाने वाली एक प्रकार की खून की जाँच है। जिससे आपके स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया जा सके। टीएलसी और डीएलसी जैसी खून की जाँच किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए की जाने वाली शुरुवाती जांचे होती है ये दोनों जांचे सामान्य रक्त जांचो जैसी ही हैं जो यह बताते है की रोगी को कोई अंदुरुनी बुखार, मूत्र संक्रमण, एनीमिया, WBC का स्वास्थ, खांसी संक्रमण या अन्य कोई और खून से सम्बंधित समस्या आदि तो नहीं है।
TLC Test (टीएलसी): टीएलसी या डब्ल्यूबीसी काउंट एक प्रकार की खून की जाँच है जो सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या (WBC Count) का मूल्यांकन करता है, जिसे ल्यूकोसाइट्स के रूप में भी जाना जाता है। ल्यूकोसाइट्स हमारे शरीर के रक्षा तंत्र का आवश्यक अंग हैं क्योंकि ये संक्रमण से लड़ते हैं।
DLC Test (डीएलसी): डीएलसी रक्त परीक्षण के द्वारा हमारे शरीर में हर एक प्रकार के डब्ल्यूबीसी का प्रतिशत नापा जाता है। हमारे रक्त में सामान्य रूप से पांच प्रकार WBC होते हैं। स्वस्थ वयस्कों में WBC और उनके प्रकारो का प्रतिशत और सामान्य सीमा निम्नानुसार है:
• न्यूट्रोफिल या बहुरूपता: 40 – 60%
• मोनोसाइट्स: 2 – 8%
• लिम्फोसाइट्स (बी और टी कोशिकाएं): 20 – 40%
• ईोसिनोफिल्स: 1 – 4%
• बैंड या युवा न्यूट्रोफिल: 0 – 3%
• बेसोफिल्स: 0.5 – 1%
ल्यूकेमिया और अन्य विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का भी पता लगा सकते है। टीएलसी और डीएलसी जाँच आपके डॉक्टर को एक बुनियादी विचार देते हैं जिससे वो ये जान सके कि आप किसी तरह की बीमारी से पीड़ित हैं। यह डॉक्टर को यह जानने में भी मदद करते है की आपके शरीर में कोई स्वास्थ्य समस्या है और वह कितनी गंभीर हो सकती है, साथ ही टीएलसी और डीएलसी किसी भी तरह की समस्या होने पर आपके इलाज का प्रभाव कितना है इसकी पुष्टी जांचने के लिए भी किया सकता है।
क्या आप जानते है की, सफेद रक्त कोशिकाओं को ल्यूकोसाइट्स भी कहा जाता है जो मानव शरीर में वायरस, रोगाणु, और बैक्टीरिया पर अपना हमला करके हमारे शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं इसलिए सफेद रक्त कोशिकाओ को प्रतिरक्षक भी कहा जाता है क्योकि ये रोगो से लड़ने में सहायक है और, हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। वैसे तो सफेद रक्त कोशिकाएं हमारे अस्थि मज्जा से उत्पन्न होती हैं पर ये खून के साथ हमारे पुरे रक्तप्रवाह में घूमती रहती हैं। एक स्वस्थ वयस्क मानव के खून में सफेद रक्त कोशिकाओं की सामान्य सीमा 4,000 से 11,000 सफ़ेद रक्त कोशिकाये प्रति माइक्रोलिटर (μl या एमसीएल) या रक्त के क्यूबिक मिलीमीटर (मिमी 3) के बीच होती है, हालांकि यह संख्या महिलाओं और पुरुषों में अलग-अलग हो सकती है, और साथ ही स्वस्थ बच्चे और युवा लोगो में उम्र के आधार पर भी अलग हो सकती है, देखा गया है की आमतौर पर सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या (WBC Count) स्वस्थ बच्चे और युवा लोगो में अधिक होती है।
मानव शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं के 5 प्रकार होते हैं:
यह शरीर में किसी भी एलर्जी, संक्रमण, सूजन, रक्त कैंसर जैसे लिम्फोमा या ल्यूकेमिया या दवाओं की वजह से होने वाले दुष्प्रभावों की जाँच और उनका पता लगाने के लिए किया जा सकता है। यह टेस्ट जीर्ण और तीव्र संक्रमण के बीच अंतर करता है। TLC Test आपके द्वारा करवाये जाने वाले नियमित चेक-अप में शामिल हो सकता है और बॉडी चेकप में किये जाने वाली जांचो का एक हिस्सा भी हो सकता है। यह परीक्षण कीमोथेरेपी के रोगियों के लिए फॉलोअप जाँच (अनुवर्ती) परीक्षण के रूप में किया जाता है।
एक मानव शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या (WBC Count) बढ़ जाने से संक्रमण होने का खतरा और शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, और आपके शरीर को स्वास्थ्य सम्बंधित खतरे अधिक अधिक हो जाते है। इसलिए शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या (WBC Count) बढ़ जाने की स्थति को ल्यूकोपेनिया के नाम से जाना जाता है। ल्यूकोपेनिया होने का खतरा उन रोगियों को अधिक होता है जो कीमोथेरेपी से गुजर रहे हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ने की वजहें वायरल, फंगल, बैक्टीरियल या आघात, परजीवी संक्रमण, सूजन, गाउट के तीव्र चरण, आमवाती गठिया, संयोजी ऊतक विकार या मूत्र संक्रमण भी हो सकते है जिसकी वजह से रक्त कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है।
कुछ अन्य परिस्थितियां जिसमे खून में सफेद रक्त कोशिकाओं की गिनती (WBC Count) कम हो जाती है उसका कारण निम्नलिखित स्थतियाँ हो सकती हैं, जैसे टाइफाइड, इन्फ्लूएंजा, मलेरिया, तपेदिक और डेंगू आदि।
कुछ दवाएं कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स, एल्ब्युटेरोल, जैसे प्रेडनिसोलोन, प्रेडनिसोन, आदि, एपिनेफ्रीन, ग्रैनुलोसाइट उत्तेजक कारक दवाइयाँ जैसे लेनोगोनिम, फिल्ट्रास्टिम, इत्यादि, हेपरिन, लिथियम जैसी सफेद रक्त कोशिकाकी संख्या बढ़ा सकती हैं।
ड्रग्स जो सफेद रक्त कोशिकाओं की गिनती को कम कर सकती हैं, वे हैं एंटीथायराइड, एंटीबायोटिक्स एजेंट जैसे कार्बिमाज़ोल, मेथिमाज़ोल आदि, डायजेपाम, फ़िनाइटोइन, वैलेनिक एसिड, क्लोनाज़ेपम, आदि, क्लोज़ापाइन, कैप्टोप्रिल, मूत्रवर्धक जैसे हाइड्रोक्लोरोज़िया सल्फोनेथोक्साज़ोल, फ़्युरोसिमाइड, सल्फ़िसोक्साज़ोल, आदि, टेरबिनाफ़ाइन, क्विनिडाइन, टिक्लोपिडाइन और एंटीकैंसर ड्रग्स जैसे सल्फोनामाइड्स।
टीएलसी जाँच से पहले अपनी वर्तमान बीमारी के बारे में या आपको पहले से कोई बीमारी है तो या आप कोई दवा ले रहे है तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को जरूर बताये।
TLC Test को कुछ अन्य और नामों से भी जाना जाता है जैसे टोटल डब्ल्यूबीसी काउंट ऑटोमेटेड ब्लड, टीएलसी ऑटोमेटेड ब्लड, टीसी ऑटोमेटेड ब्लड, टोटल व्हाइट ब्लड सेल काउंट ऑटोमेटेड ब्लड, टीसी, टोटल डब्ल्यूबीसी काउंट, टोटल व्हाइट सेल काउंट, टोटल ल्यूकोसाइट्स काउंट के रूप में भी जाना जाता है।
वैसे सफेद रक्त कोशिकागिनती परीक्षण (TLC Test) के लिए कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं है। लेकिन TLC Test करवाने से पहले अपने डॉक्टर को जरूर सूचित करें यदि आप किसी भी प्रकार की बीमारी या एलर्जी के शिकार है, या किसी भी तरह की दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, या आपको पहले कभी टीएलसी टेस्ट करवाने के बाद किसी भी तरह की एलर्जी महसूस हुई हो तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में जरूर सूचित करे। टीएलसी टेस्ट (TLC Test) की तैयारी कैसे करें, इसके लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल और शारीरिक स्थिति के आधार पर आपको विशिष्ट दिशानिर्देश दे सकता है।
टीएलसी और डीएलसी जैसी जांचे आपका डॉक्टर आपकी मेडिकल स्थति के आधार पर लिख सकता है और यह जांचे आपके शरीर में किसी बीमारी या किसी प्रकार की समस्या को फॉलोअप करने या किसी गंभीर बीमारी का पता लगाने के लिए की जा सकती है इसलिए डॉक्टर ये टेस्ट कितनी बार करवाने के लिए कहेंगे ये आपकी मेडिकल स्थति पर निर्भर करेगा।
किसी व्यक्ति की खून की रिपोर्ट में, यदि टीएलसी अधिक आता है, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति के शरीर में किसी प्रकार का संक्रमण है। और अगर टीएलसी सामान्य टीएलसी की तुलना में कम है तो यह सामान्य तौर पर, डेंगू, टाइफाइड, वायरल फीवर आदि हो सकता है। डी.एल.सी की रिपोर्ट के साथ भी बिलकुल ऐसा ही होता है। इसलिए ये जांचे आपको उस बीमारी के बारे में पता लगाने के लिए सबसे अच्छी शुरुवाती जांचे है, जो आपके शरीर में दिख रहे लक्षणों के आधार पर ये जानने में मदद करते है की आप किस बीमारी से पीड़ित है और वह कितनी गंभीर है।
डायग्नोस्टिक और पैथोलॉजी टेस्ट, हाउस ऑफ डायग्नोस्टिक्स (एच.ओ.डी.) पर उपलब्ध हैं।
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